प्रश्न 1. देखने की क्रिया में स्वतुल्यता तथा विषयनिष्ठता के महत्त्व की चर्चा कीजिए।
उत्तर- अध्ययन में दृश्य के कई रूप प्रयोग में लाए जाते हैं, जैसे कि फोटोग्राफ, फिल्म, वीडियो और कला। हालांकि दृश्यों का उपयोग करने के लिए प्रतिवर्त दृष्टिकोण अनिवार्य होता है। दृश्यों में दर्शक की सामाजिक स्थिति पर प्रश्न उठते हैं. जैसे कि लिग, आयु. जाति, जातीयता और व्यक्तिपरक कारक। ये सब दृश्य के दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाले कारक हैं, इसलिए यह एक जटिल सामाजिक प्रक्रिया है, जिसमें अलग-अलग अर्थ मिलते हैं। 1974 में हावर्ड बेकर द्वारा प्रस्तावित किया गया कि समाजशास्त्री दृश्यों पर ध्यान केंद्रित कर उनका विश्लेषण कर सकते हैं। उन्होंने प्रत्येक छवि को ध्यान से देखने पर सुझाव दिया। सामान्य रूप में नृवंशविज्ञान को संस्कृतियों और सामाजिक प्रथाओं के अध्ययन के रूप में जाना जाता है। समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया जाता है। इसमें औपचारिक दृश्य भी शामिल होते हैं। मारिट मीड और ग्रेगरी बेटसन द्वारा दृश्य नृवंशविज्ञान पर अग्रणी कायों के रूप में अध्ययन किया गया, मानवविज्ञानों द्वारा विभिन्न प्रजातियों का अध्ययन किया गया, परंतु मौड और बेटसन द्वारा तस्वीरों का संस्कृति के बारे में प्रयोग किया गया। मीड ने अपनी पुस्तक में बाली के गाँव के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन कर पुस्तक में व्यक्त किया। बेटसन के अनुसार संस्कृति के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को शाति और अनजाने में तस्वीरों में कैद कर लिया जाता है।
स्वतुल्यता (रिफ्लेक्सिविटी) और विषयनिष्ठता (सब्जेक्टिविटी)
प्रतिभागियों पर दृश्य का प्रभाव कैसा है, दृश्य नृवंशविज्ञान के अंतिम परिणाम के लिए स्वतुल्यता और विषयनिष्ठता अनिवार्य है। स्वतुल्यता में एक दृश्य को व्यक्त करने वाले अर्थों से अवगत होना तथा विषयनिष्ठता में प्रतिभागियों पर अनुसंधान का प्रभाव यानी दूसरे के प्रतिनिधित्व के प्रति सचेत रहना। नृवंशविज्ञानी को इस बात के प्रति आत्म जागरूक होना चाहिए कि वे सूचनाओं के सामने अपना प्रतिनिधित्व किस प्रकार करते हैं। उनको पचास लोगों द्वारा कैसे बनाया जाता है या समझा जाता है, दृश्य में क्या शामिल है या नहीं है। इसमें पर्यवेक्षक और प्रतिभागी में दूरी मौजूद रहती है। ये दृश्यों को व्यक्त करने में महत्त्वपूर्ण माने गये हैं।
दृश्य अनुसंधान करने में विषयनिष्ठता आवश्यक है। यह दृश्य नृवंशविज्ञान का महत्त्वपूर्ण पहलू है। शोकर्ताओं के रूप में विषयनिष्ठता हमारी स्थिति प्रतिभागियों पर अनुसंधान के प्रभाव को दर्शाती है. जिस तरह से हम दूसरे का प्रतिनिधित्व करते हैं। उसके प्रति जागरूक रहना, दृश्य अनुसंधान में नृवंशविज्ञानियों को जागरूक होना चाहिए कि वे प्रतिभागियों के सामने यह रखते हैं कि दृश्य किस प्रकार तैयार किया गया है।