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Saturday, February 1, 2025

Privacy Policy

Privacy Policy

This privacy policy applies to the Animals Name Quiz app (hereby referred to as "Application") for mobile devices that was created by The S K R (hereby referred to as "Service Provider") as a Free service. This service is intended for use "AS IS".


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Friday, January 24, 2025

26 January 2025

 26 January 2025

26 January 

26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। यह ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय था। इसके बाद से हर वर्ष इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।

एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू या गया था। इसे लागू करने के 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।

इस दिन हर भारतीय अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि मे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत गणराज्य के राष्ट्रपति दिल्ली के कर्तव्य पथ पर भारतीय ध्वज फहराते हैं। राजधानी दिल्ली में बहुत सारे आकर्षक और मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली को अच्छी तरह सजाया जाता है कर्त्तव्यपथ पर बड़ी धूम-धाम से परेड निकलती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों और सरकारी विभागों की झांकियाँ होतीं हैं। देश के कोने कोने से लोग दिल्ली मे 26 जनवरी की परेड देखने आते हैं। भारतीय सेना अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होता है। 26 जनवरी के दिन धूम-धाम से राष्ट्रपति की सवारी निकाली जाती है तथा बहुत से मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।


26 January Republic Day Speech 

गणतन्त्र दिवस भारत गणराज्य का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में भारत का 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इंडोनेशियन राष्ट्रपति प्रभावों सुवियंतो 2025 के मुख्य अतिथि हैं।


26 January Republic Day 

26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। यह ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय था। इसके बाद से हर वर्ष इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।

एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू या गया था। इसे लागू करने के 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।

इस दिन हर भारतीय अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि मे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत गणराज्य के राष्ट्रपति दिल्ली के कर्तव्य पथ पर भारतीय ध्वज फहराते हैं। राजधानी दिल्ली में बहुत सारे आकर्षक और मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली को अच्छी तरह सजाया जाता है कर्त्तव्यपथ पर बड़ी धूम-धाम से परेड निकलती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों और सरकारी विभागों की झांकियाँ होतीं हैं। देश के कोने कोने से लोग दिल्ली मे 26 जनवरी की परेड देखने आते हैं। भारतीय सेना अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होता है। 26 जनवरी के दिन धूम-धाम से राष्ट्रपति की सवारी निकाली जाती है तथा बहुत से मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।


26 January Republic Day In Hindi 

26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। यह ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय था। इसके बाद से हर वर्ष इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।

एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू या गया था। इसे लागू करने के 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।

इस दिन हर भारतीय अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि मे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत गणराज्य के राष्ट्रपति दिल्ली के कर्तव्य पथ पर भारतीय ध्वज फहराते हैं। राजधानी दिल्ली में बहुत सारे आकर्षक और मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली को अच्छी तरह सजाया जाता है कर्त्तव्यपथ पर बड़ी धूम-धाम से परेड निकलती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों और सरकारी विभागों की झांकियाँ होतीं हैं। देश के कोने कोने से लोग दिल्ली मे 26 जनवरी की परेड देखने आते हैं। भारतीय सेना अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होता है। 26 जनवरी के दिन धूम-धाम से राष्ट्रपति की सवारी निकाली जाती है तथा बहुत से मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।


26 January Republic Day Speech In English 

Republic Day is celebrated in India for the adoption of the own constitution on 26 January 1950, after freedom from British Rule. The original text of the Preamble to the Constitution of India. The Constitution of India came into force on 26 January 1950.


26 January Speech In Hindi 

गणतन्त्र दिवस भारत गणराज्य का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में भारत का 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इंडोनेशियन राष्ट्रपति प्रभावों सुवियंतो 2025 के मुख्य अतिथि हैं।


26 January Kyon Manate Hain 

26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। यह ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय था। इसके बाद से हर वर्ष इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।

एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू या गया था। इसे लागू करने के 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।

इस दिन हर भारतीय अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि मे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत गणराज्य के राष्ट्रपति दिल्ली के कर्तव्य पथ पर भारतीय ध्वज फहराते हैं। राजधानी दिल्ली में बहुत सारे आकर्षक और मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली को अच्छी तरह सजाया जाता है कर्त्तव्यपथ पर बड़ी धूम-धाम से परेड निकलती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों और सरकारी विभागों की झांकियाँ होतीं हैं। देश के कोने कोने से लोग दिल्ली मे 26 जनवरी की परेड देखने आते हैं। भारतीय सेना अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होता है। 26 जनवरी के दिन धूम-धाम से राष्ट्रपति की सवारी निकाली जाती है तथा बहुत से मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।


26 January Speech In Hindi PDF

गणतन्त्र दिवस भारत गणराज्य का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में भारत का 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इंडोनेशियन राष्ट्रपति प्रभावों सुवियंतो 2025 के मुख्य अतिथि हैं।


26 January Shayari In Hindi 

तिरंगे के रंगों में बसी है हमारी जान,

गणतंत्र दिवस पर हमारा दिल करता है सम्मान।

सजते हैं यहां दिलों में अहिंसा के विचार

हम सबका है भारत, हर दिल में है सिर्फ प्यार।।


26 January Celebrated As

Republic Day (India) Republic Day is celebrated in India for the adoption of the own constitution on 26 January 1950, after freedom from British Rule. The original text of the Preamble to the Constitution of India. The Constitution of India came into force on 26 January 1950.


26 January 1950 Day

26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। यह ऐतिहासिक क्षणों में गिना जाने वाला समय था। इसके बाद से हर वर्ष इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।

एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू या गया था। इसे लागू करने के 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।

इस दिन हर भारतीय अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि मे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत गणराज्य के राष्ट्रपति दिल्ली के कर्तव्य पथ पर भारतीय ध्वज फहराते हैं। राजधानी दिल्ली में बहुत सारे आकर्षक और मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली को अच्छी तरह सजाया जाता है कर्त्तव्यपथ पर बड़ी धूम-धाम से परेड निकलती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों और सरकारी विभागों की झांकियाँ होतीं हैं। देश के कोने कोने से लोग दिल्ली मे 26 जनवरी की परेड देखने आते हैं। भारतीय सेना अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होता है। 26 जनवरी के दिन धूम-धाम से राष्ट्रपति की सवारी निकाली जाती है तथा बहुत से मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।


26 January 2025 Which Republic Day 

India is celebrating its 76th Republic Day on January 26, 2025. This day is special as it was on this day that India adopted its constitution in 1950, when India became a sovereign republic.


26 January In Hindi 

गणतन्त्र दिवस भारत गणराज्य का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में भारत का 75वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। इंडोनेशियन राष्ट्रपति प्रभावों सुवियंतो 2025 के मुख्य अतिथि हैं।

एक स्वतन्त्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू या गया था। इसे लागू करने के 26 जनवरी की तिथि को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था।

इस दिन हर भारतीय अपने देश के लिए प्राण देने वाले अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। स्कूलों, कॉलेजों आदि मे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत गणराज्य के राष्ट्रपति दिल्ली के कर्तव्य पथ पर भारतीय ध्वज फहराते हैं। राजधानी दिल्ली में बहुत सारे आकर्षक और मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली को अच्छी तरह सजाया जाता है कर्त्तव्यपथ पर बड़ी धूम-धाम से परेड निकलती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों और सरकारी विभागों की झांकियाँ होतीं हैं। देश के कोने कोने से लोग दिल्ली मे 26 जनवरी की परेड देखने आते हैं। भारतीय सेना अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होता है। 26 जनवरी के दिन धूम-धाम से राष्ट्रपति की सवारी निकाली जाती है तथा बहुत से मनमोहक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

प्रश्न 4. दृश्य नृविज्ञान पर एक टिप्पणी लिखिए।

 प्रश्न 4. दृश्य नृविज्ञान पर एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-दृश्य नृवंशविज्ञान को एक पद्धति के रूप में समझ सकते हैं। पिंक 2001 के अनुसार, दृश्य नृवंशविज्ञान समाजों, संस्कृतियों और व्यक्तियों के बारे में ज्ञान का उद्भव और प्रतिनिधित्व करने की प्रक्रिया है। यह कई अनुशासनात्मक उद्देश्य और सिद्धांतों के सेट द्वारा सूचित करता है। दृश्य नृवंशविज्ञान के अंतर्गत नृवंशविज्ञानी अपने अध्ययन में कई विधियों का प्रयोग कर सकते हैं. जैसे कि सहभागी विधि या अवलोकन विधि। सारा पिक जो कि एक प्रसिद्ध मानवविज्ञानी हैं, उनके अनुसार नृवंशविज्ञान अनुसंधान दृश्यों से संबंधित है' क्योंकि नृवंशविज्ञान में ध्वनि, शब्द या सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के द्वारा किसी भी रूप में अलग करना कठिन कार्य है। यहाँ दो सवालों का सृजन होता है, जैसे कि क्या वास्तविकता का अवलोकन करना संभव है और वास्तविकता को रिकॉर्ड करना संभव कार्य है, अवलोकन संबंधी दृष्टिकोण क्या है? इसलिए यह जरूरी नहीं होता कि जो कुछ दिखाई दे रहा है, वह सत्य हो। उसमें कुछ तत्व अदृश्य भी हो सकते हैं।


अवलोकन के अधों में शोधकर्ता किसी व्यापारिक प्रभाव के बिना किसी भी जानकारी को रख सकता है या निकाल सकता है. इसलिए उसका अंतिम परिणाम केवल संस्करण मात्र है। अंतिम परिणाम नृवंशविज्ञानियों को वास्तविकता के संस्करण और अनुभव देता है। स्वतुल्यता अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह अंतिम परिणाम को प्रभावित करती है। इसमें शोध में शोध किए जा रहे लोगों की आवाजें शामिल हो सकती हैं। इसमें शोधकर्ता की आवाज शामिल हो सकती है या जिनका दृश्य है, उस समुदाय की आवाज हो सकती है।

प्रश्न 3. नृवंशविज्ञान में आचार्य नीति की भूमिका की व्याख्या कीजिए।

 प्रश्न 3. नृवंशविज्ञान में आचार्य नीति की भूमिका की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-नृवंशविज्ञान अनुसंधान में दृश्य में नैतिकता की अहम भूमिका है। मानव विषयों के प्रत्येक अध्ययन के लिए नैतिक अनुसंधान महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। नैतिक अनुसंधान सोच-विचार, सहमति, गोपनीयता, सूचना देने वाले की सुरक्षा और आँकड़ों के प्रभुत्व आदि पर है। किसी भी नृवंशविज्ञान अनुसंधान में शोधकर्ता का नैतिक आचरण महत्त्वपूर्ण माना जाता है। नृवंशविज्ञानी को नैतिकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और दृश्य विधियों का उपयोग करते समय इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि एक दृश्य के विभिन्न दृष्टिकोण और एक ही छवि अलग-अलग अर्थ किस प्रकार किये जाते हैं क्योंकि फोटोग्राफिक अथर्थों की मनमानी प्रकृति के कारण, गैर शैक्षणिक दर्शकों द्वारा दृश्यों को साक्ष्य माना जा सकता है। इसलिए समकालीन शिक्षाविदों द्वारा वास्तविकता के साथ दृश्य अनुसंधान करने का प्रयास किया गया है। हालांकि कुछ द्वारा गुप्त कैमरों का प्रयोग करने के लिए प्रस्तावित किया गया है, परंतु दृश्य अनुसंधान की यह पद्धति नैतिक चिंताओं के उद्भव का कारण बन सकती है।


लोगों की तस्वीर या वीडियो बनाने से पहले उनकी अनुमति लेना बेहतर तरीका साबित हो सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति की या वस्तु को बिना अनुमति के फोटो खींचना या फिल्म निर्माण करना अनैतिक कार्य है। इससे विभिन्न समस्याएँ उभर सकती हैं। इसलिए व्यक्तिगत तौर पर और सार्वजनिक स्थानों के कार्यक्रमों पर अनुमति लेना आवश्यक हो जाता है। उदाहरण के तौर पर सारा पिंक 2001 द्वारा स्पेन में बुल फाइट्स का अध्ययन करते हुए उस घटना की तस्वीर लेने की विशेष अनुमति ली गई क्योंकि अनुमति न लेना एक तो अनैतिकता को प्रदर्शित करता है, दूसरे उस दृश्य शोध सामग्री के प्रकाशन और प्रभुत्व के बारे में भविष्य में समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। इसलिए किसी फोटो या वीडियो में छवियों के उत्पादन से पूर्व ही उनके उपयोग और स्वामित्व के अधिकारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना उचित माना जाता है। एक ही दृश्य के अन्य दावेदार हो सकते हैं। इस प्रकार ऐसी समस्याओं से बचने के लिए अधिकारों को सुरक्षित रखना और स्पष्ट करना बेहतर उपाय है।


हालांकि किसी दृश्य के प्रति कुछ मामलों में लिखित समझौतों का उपयोग भी किया जाता है। इसमें जिन उद्देश्यों के लिए इस सामग्री का उपयोग किया जाएगा। इसमें लिखित में अन्य प्रतिभागियों की सहमति भी हो जाती है। दृश्य अनुसंधान में पहचान के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है। खासकर महिलाओं के विजुअल्स से, श्वेत रंग के लोगों और अलग-अलग जातियों या प्रजातियों को विषयाक्षित बनाया जा सकता है। इसमें नैतिकता का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। इस प्रकार एक शोधकर्ता को नैतिकता का पालन करना चाहिए और अनुसंधान के लिए उपयोग की जाने वाली दृश्य विधियों का अनुसरण करना चाहिए।

प्रश्न 2. नृवंशविज्ञान फिल्मों में मार्गरेट मीड के योगदान की चर्चा कीजिए।

 प्रश्न 2. नृवंशविज्ञान फिल्मों में मार्गरेट मीड के योगदान की चर्चा कीजिए। 

उत्तर-मार्गरेट मीड द्वारा एक मानवविज्ञानी के नृवंशविज्ञानी के रूप में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया गया। 1952 के अंत तक भी मार्गरेट मीड द्वारा 'ट्रांस एंड डांस इन बाली' का व्याख्यान किया गया। यह व्याख्यान काफी कठिन कार्य था। मीट के अनुसार फिल्म तभी काम करेगी, जब उनके साथ मानवविज्ञानी का व्याख्यान हो क्योंकि प्रत्यक्षवादी अभिविन्यास वाले मानवविज्ञानी फिल्मों की अपेक्षा तस्वीरों को अधिक महत्त्व देते हैं। जालिनी लोगों के बीच मीड द्वारा इस विचार में एक बदलाव पाया। प्रत्यक्षवादी अभिविन्यास के अनुसार मीट को यह मानना था, कि कैमरा तद्देश्यपूर्ण था क्योंकि कैमरे में पहले से खींची गई तस्वीरों को एक उद्देश्य और वास्तविकता का चित्रण करने हेतु पहले ही खींच लिया जाता था। उपशीर्षक लगाकर मानवशास्त्रीय अर्थों की दर्शकों तक पहुँचाया जाता था। मीड के अनुसार खगोल विज्ञान में कैमरे की भूमिका एक दूरबीन की तरह है, इसलिए कैमरा वास्तविक घटनाओं को रिकॉर्ड करने के प्रयोग के अनुसार फिल्म निर्माण टीम और सूचनादाता तीनों संबंध काफी महत्त्व रखते हैं। उनका यह मानना है। स्वतुल्यता और सूचनादाता के दृष्टिकोण को शामिल करने का संकेत है।


मीड के अनुसार फिल्म की योजना और संपादन की प्रक्रिया में सूचनादाता शामिल हो सकते थे, परंतु फिल्म निर्माता में फिल्म निमाता के विचार को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसलिए मीड द्वारा 'ट्रांस इन डांस बाली' में निवासियों को ही प्रशिक्षित किया गया। बाली के निवासियों ने ही इनके सहायकों और आलोचकों के रूप में कार्य किया। मीड द्वारा अपनी फिल्मों में शब्दों से ज्यादा बेहतर थे, जैसे कि नृत्य को रिकॉर्ड करना और अनुष्ठान को रिकॉर्ड करना क्योंकि फिल्मों में फिल्म करते समय कुछ लोक नृत्य करते समय कैमरे से बाहर निकल जाते तो उनकी कुछ महत्त्वपूर्ण गतिविधियों का फिल्मांकन सही ढंग से नहीं हो पाता, इसलिए नृत्य अनुष्ठान का दृष्टिकोण अपनाया गया। मोड का यह मानना था कि चित्रण यानी तस्वीरें और फिल्मांकन कौशल का अभाव निराश करने वाला नहीं होना चाहिए। हालांकि इस अभाव को दूर करने के लिए कुशल कैमरा मैन को नृवंशविज्ञानी द्वारा दिशा-निर्देश दिया जा सकता है। 1942 में बाली पर मीड का अध्ययन किया गया। इसमें रिकॉर्डिंग के रूप में खींची गई तस्वीरों का प्रयोग आगे नहीं बढ़ सका। यह दृश्य नृविज्ञान में एक ऐतिहासिक घटना मानी गई।


मीड द्वारा 1995 में माना गया कि कैमरे को एक बार चलाने के लिए रिकॉर्ड करने के रूप में स्थापित किया गया, तो यह अदृश्य रहता है, इसलिए मीड के लिए कैमरा दीवार पर बैठी मक्खी के समान था क्योंकि उत्तरदाताओं को शामिल करने के महत्त्व को रेखाखित किया गया, परंतु उत्तरदाताओं के दृष्टिकोण और उनकी संस्कृति के बारे में अपने अध्ययन में सूचनादाताओं की अपनी समझ को प्रतिबिंबित नहीं किया गया। उनके लिए उत्तरदाताओं को अपनी समझ को प्रतिबिंबित नहीं किया गया। उनके लिए उत्तरदाताओं का दृष्टिकोण विशेष महत्त्व रखता था। मार्गरेट मीड द्वारा समोआ के बीच क्षेत्रकार्य किया गया।

Thursday, January 23, 2025

पर्यावरण समाजशास्त्र की प्रकृति और कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।

 प्रश्न 1. पर्यावरण समाजशास्त्र की प्रकृति और कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।


उत्तर-औद्योगीकरण और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पर्यावरण समाजशास्त्र पर विकास की तेज गति ने ऐसी समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं, जो पर्यावरणीय चिंताओं का कारण बनती हैं। प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय चिंताओं का कारण बना है। प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय अतिक्रमण के दायरे में आ गया है। अत्यधिक प्राकृतिक साधनों के दोहन ने और उद्योगों से उत्पन्न कचरे ने पर्यावरण को विनाश की ओर धकेल दिया है। पर्यावरण समाजशास्त्र के उद्भव में गिफर्ड पिन्शो, जॉर्ज पर्किस, आल्डो लियपोल्ड इत्यादि संरक्षणवादियों का योगदान रहा है, जिन्होंने पर्यावरण में मानवीय गतिविधियों से होने वाले नुकसान पर लोगों का ध्यान केंद्रित करवाया।


1960 और 1970 के दशक के पर्यावरण आंदोलन के बाद पर्यावरण समाजशास्त्र, समाजशास्त्र के एक उपक्षेत्र के रूप में उभर कर आया। 70 के दशक को पर्यावरणीय दशक तथा पहली बार 22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस मनाया गया, यहीं से आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है। 1970 से पहले अमेरिका का समाजशास्त्र (ग्रामीण समाजशास्त्र), जिसे शास्त्रीय समाजशास्त्र भी कहा जाता है, में अमेरिकन लेखक रेचल कार्सन ने अपनी पुस्तक 'Silent Spring' (1962) में डीडीटी तथा कृषि कीटनाशकों के इस्तेमाल से पर्यावरण तथा मानवीय अस्तित्व पर होने वाले दुष्प्रभाव का वर्णन किया है।


अमेरिका में पर्यावरण समाजशास्त्र की स्थापना का श्रेय रिले डनलप और विलियम कैटन को जाता है। इनके कार्यों ने शास्त्रीय समाजशास्त्र के संकुचित मानवशास्त्रवाद को चुनौती दी, जबकि पर्यावरणीय समाजशास्त्र पर्यावरण-समाज के संबंधों के अध्ययन पर केंद्रित है। अमेरिका में लव कैनाल प्रकरण भी मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली एक भयंकर पर्यावरणीय त्रासदी बन गया, जिसकी वजह से 1970 के दशक में अमेरिका में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर को स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ा और भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो, इसलिए 1978 में अमेरिका में पर्यावरणीय प्रतिक्रिया, मुआवजा एवं उत्तरदायित्व अधिनियम पारित किया गया।

देखने की क्रिया में स्वतुल्यता तथा विषयनिष्ठता के महत्त्व की चर्चा कीजिए।

 प्रश्न 1. देखने की क्रिया में स्वतुल्यता तथा विषयनिष्ठता के महत्त्व की चर्चा कीजिए।

 उत्तर- अध्ययन में दृश्य के कई रूप प्रयोग में लाए जाते हैं, जैसे कि फोटोग्राफ, फिल्म, वीडियो और कला। हालांकि दृश्यों का उपयोग करने के लिए प्रतिवर्त दृष्टिकोण अनिवार्य होता है। दृश्यों में दर्शक की सामाजिक स्थिति पर प्रश्न उठते हैं. जैसे कि लिग, आयु. जाति, जातीयता और व्यक्तिपरक कारक। ये सब दृश्य के दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाले कारक हैं, इसलिए यह एक जटिल सामाजिक प्रक्रिया है, जिसमें अलग-अलग अर्थ मिलते हैं। 1974 में हावर्ड बेकर द्वारा प्रस्तावित किया गया कि समाजशास्त्री दृश्यों पर ध्यान केंद्रित कर उनका विश्लेषण कर सकते हैं। उन्होंने प्रत्येक छवि को ध्यान से देखने पर सुझाव दिया। सामान्य रूप में नृवंशविज्ञान को संस्कृतियों और सामाजिक प्रथाओं के अध्ययन के रूप में जाना जाता है। समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया जाता है। इसमें औपचारिक दृश्य भी शामिल होते हैं। मारिट मीड और ग्रेगरी बेटसन द्वारा दृश्य नृवंशविज्ञान पर अग्रणी कायों के रूप में अध्ययन किया गया, मानवविज्ञानों द्वारा विभिन्न प्रजातियों का अध्ययन किया गया, परंतु मौड और बेटसन द्वारा तस्वीरों का संस्कृति के बारे में प्रयोग किया गया। मीड ने अपनी पुस्तक में बाली के गाँव के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन कर पुस्तक में व्यक्त किया। बेटसन के अनुसार संस्कृति के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को शाति और अनजाने में तस्वीरों में कैद कर लिया जाता है।


स्वतुल्यता (रिफ्लेक्सिविटी) और विषयनिष्ठता (सब्जेक्टिविटी)


प्रतिभागियों पर दृश्य का प्रभाव कैसा है, दृश्य नृवंशविज्ञान के अंतिम परिणाम के लिए स्वतुल्यता और विषयनिष्ठता अनिवार्य है। स्वतुल्यता में एक दृश्य को व्यक्त करने वाले अर्थों से अवगत होना तथा विषयनिष्ठता में प्रतिभागियों पर अनुसंधान का प्रभाव यानी दूसरे के प्रतिनिधित्व के प्रति सचेत रहना। नृवंशविज्ञानी को इस बात के प्रति आत्म जागरूक होना चाहिए कि वे सूचनाओं के सामने अपना प्रतिनिधित्व किस प्रकार करते हैं। उनको पचास लोगों द्वारा कैसे बनाया जाता है या समझा जाता है, दृश्य में क्या शामिल है या नहीं है। इसमें पर्यवेक्षक और प्रतिभागी में दूरी मौजूद रहती है। ये दृश्यों को व्यक्त करने में महत्त्वपूर्ण माने गये हैं।

दृश्य अनुसंधान करने में विषयनिष्ठता आवश्यक है। यह दृश्य नृवंशविज्ञान का महत्त्वपूर्ण पहलू है। शोकर्ताओं के रूप में विषयनिष्ठता हमारी स्थिति प्रतिभागियों पर अनुसंधान के प्रभाव को दर्शाती है. जिस तरह से हम दूसरे का प्रतिनिधित्व करते हैं। उसके प्रति जागरूक रहना, दृश्य अनुसंधान में नृवंशविज्ञानियों को जागरूक होना चाहिए कि वे प्रतिभागियों के सामने यह रखते हैं कि दृश्य किस प्रकार तैयार किया गया है।