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Thursday, January 23, 2025

पर्यावरण समाजशास्त्र की प्रकृति और कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।

 प्रश्न 1. पर्यावरण समाजशास्त्र की प्रकृति और कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।


उत्तर-औद्योगीकरण और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पर्यावरण समाजशास्त्र पर विकास की तेज गति ने ऐसी समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं, जो पर्यावरणीय चिंताओं का कारण बनती हैं। प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय चिंताओं का कारण बना है। प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय अतिक्रमण के दायरे में आ गया है। अत्यधिक प्राकृतिक साधनों के दोहन ने और उद्योगों से उत्पन्न कचरे ने पर्यावरण को विनाश की ओर धकेल दिया है। पर्यावरण समाजशास्त्र के उद्भव में गिफर्ड पिन्शो, जॉर्ज पर्किस, आल्डो लियपोल्ड इत्यादि संरक्षणवादियों का योगदान रहा है, जिन्होंने पर्यावरण में मानवीय गतिविधियों से होने वाले नुकसान पर लोगों का ध्यान केंद्रित करवाया।


1960 और 1970 के दशक के पर्यावरण आंदोलन के बाद पर्यावरण समाजशास्त्र, समाजशास्त्र के एक उपक्षेत्र के रूप में उभर कर आया। 70 के दशक को पर्यावरणीय दशक तथा पहली बार 22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस मनाया गया, यहीं से आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत मानी जाती है। 1970 से पहले अमेरिका का समाजशास्त्र (ग्रामीण समाजशास्त्र), जिसे शास्त्रीय समाजशास्त्र भी कहा जाता है, में अमेरिकन लेखक रेचल कार्सन ने अपनी पुस्तक 'Silent Spring' (1962) में डीडीटी तथा कृषि कीटनाशकों के इस्तेमाल से पर्यावरण तथा मानवीय अस्तित्व पर होने वाले दुष्प्रभाव का वर्णन किया है।


अमेरिका में पर्यावरण समाजशास्त्र की स्थापना का श्रेय रिले डनलप और विलियम कैटन को जाता है। इनके कार्यों ने शास्त्रीय समाजशास्त्र के संकुचित मानवशास्त्रवाद को चुनौती दी, जबकि पर्यावरणीय समाजशास्त्र पर्यावरण-समाज के संबंधों के अध्ययन पर केंद्रित है। अमेरिका में लव कैनाल प्रकरण भी मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली एक भयंकर पर्यावरणीय त्रासदी बन गया, जिसकी वजह से 1970 के दशक में अमेरिका में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर को स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करना पड़ा और भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो, इसलिए 1978 में अमेरिका में पर्यावरणीय प्रतिक्रिया, मुआवजा एवं उत्तरदायित्व अधिनियम पारित किया गया।

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